बुधवार, 25 मई 2011

पहेली - 5 (परिणाम) (श्री द्वारकधीश मंदिर, द्वारका, गुजरात)

ब्लॉग जगत के प्रिय मित्रो आप सबको प्रणाम !

हम आपकी सेवा में हाजिर हैं पहेली - 5 का जवाब लेकर।

पहेली का सही उत्तर है
श्री द्वारकधीश मंदिर, द्वारका, गुजरात, भारत


भारत के पश्चिमी समुद्री किनारे पर बसी है पवित्र द्वारका नगरी. जिसे आज से ५००० साल पहले भगवान श्रीकॄष्ण ने मथुरा छोडने के उपरांत बसाया था. श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, बाल्यावस्था गोकुल में रहे तदुपरांत राज उन्होंने द्वारका में किया. वो उस समय के इतने महाप्रतापी राजा थे कि सारे देश के राजा महाराजा उनसे सहायता और सलाह के लिये द्वारका आया करते थे. उस समय की राजनीति के सारे सूत्र उन्हीं के हाथ में थे. यहीं द्वारका से उन्होंने सारे देश के सत्ता सुत्र अपने हाथ में संभाले.

श्री द्वारकाधीष की मुर्ति


यह प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर ठीक उसी जगह है जहां कभी भगवान श्री कृष्ण का निजी महल हरि गृह था. भगवान श्री कृष्ण के अनुयाईयों के लिये यह एक एक महान और पवित्र तीर्थ है. मंदिर की पूर्व दिशा में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश की चार पीठों मे से एक शारदा पीठ यहीं है. पवित्र द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक मानी गई है. वर्तमान मंदिर का यह स्वरूप १६ वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया. माना जाता है कि इस स्थान पर मुख्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा करवाया गया. जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मंदिर का विस्तार कार्य और जीर्णोद्धार होता चला गया.


श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्ण की चतुर्भुजी प्रतिमा विराजित है. यहाँ इन्हें 'रणछोड़ जी' के नाम से भी पुकारा जाता है. (वैसे भगवान श्री कृष्ण का रणछोडराय जी के नाम से प्रसिद्ध भव्य मंदिर डाकोर जी गुजरात मे है) यहां भगवान ने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुये हैं. अन्य श्री कृष्ण मंदिरों के समान ही यहां भी बेशकीमती अलंकरणों और सुंदर वेशभूषा से सजी प्रतिमा हर भक्त का मन मोहती है. द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है जहां से कुछ ही दूरी पर अरब सागर है जहाँ पर समुद्र नारायण मंदिर है. इसके निकट ही पंचतीर्थ है जहां पाँच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा चली रही है. ज्यादातर श्रद्धालु तीर्थयात्री गोमती में स्नान करके ५६ सीढ़ियाँ चढ़ कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.

श्री द्वारकाधीष मंदिर, द्वारका


श्री द्वारकाधीष मंदिर एक परकोटे से घिरा हुआ है जिसमें चारों ओर एक एक द्वार है. इनमें उत्तर का द्वार मोक्ष द्वार एवं दक्षिण का स्वर्ग द्वार कहलाता है. इस आकर्षक निर्माण शैली के सात मंज़िले मंदिर का उच्च शिखर २३५ मीटर ऊँचा है जिसके उच्च शिखर पर क़रीब ८४ फुट लंबाई की बहुरंगी धर्मध्वजा फहराती रहती है. यह ध्वजा संभवत: संसार की सबसे विशालतम ध्वजा है जो पूरे एक थान कपड़े से बनाई जाती है. इस मंदिर के प्रागंण में आप घंटो मंत्रमुग्ध से बै्ठे रह सकते हैं. एक तरफ़ अरब सागर की अथाह जलराशि, ऊपर तेज हवा में फ़हराती ध्वजा और प्रांगण में भजन कीर्तन करते श्रद्धालुजन, तीर्थयात्री, देशी विदेशी पर्यटक एक ऐसा शमां बांधते हैं जैसे सारा संसार भगवान श्री कृष्ण से मिलने दौडा चला रहा है.

आईये अब मिलते हैं आज के विजेता से :-

श्री विजय कर्ण जी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ

जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया

Dr.Ajmal Khan

pryas

डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा

सुज्ञ

Basant Sager

ओशो रजनीश

दर्शन लाल बवेजा

Sawai Singh Rajpurohit

एक नयी पहेली के साथ शनिवार सुबह दस बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब

तक के लिये नमस्कार.

7 टिप्पणियाँ:

राम भरोसे ने कहा…

सभी को बहुत बधाई

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

श्री विजय कर्ण जी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

सभी को बहुत बधाई

pryas ने कहा…

नयी पहेली???

निरंजन मिश्र (अनाम) ने कहा…

विजय कर्ण जी को बहुत बहुत बधाई

Basant Sager ने कहा…

विजय जी को बधाई

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

सभी को बहुत बधाई

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