ब्लॉग जगत के प्रिय मित्रो आप सबको प्रणाम !
हम आपकी सेवा में हाजिर हैं पहेली - 6 का जवाब लेकर।
पहेली का सही उत्तर है
लौह स्तम्भ, महरौली, दिल्ली
प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी
तक 'जंगविहिन' दिल्ली का लौह स्तंभ'।जिसका चित्र पहेली में हमने दिखाया था.
इसका सालों से 'जंग विहीन होना ' दुनिया के अब तक के अनसुलझे रहस्यों मे माना जाता है.
सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने अनुसन्धान में कुछ
निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर जमी Misawit की परत इसे जंग लगने से बचाती है .
वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से ही लोहे को गलाने की तकनीक जानते थे.
पश्चिमी देश इस ज्ञान में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे. इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का
पहला कारखाना सन् ११६१ में खुला था.बारहवीं शताब्दी के अरबी विद्वान इदरिसी ने भी
लिखा है कि भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित
मानकों की बराबरी कर पाना असंभव सा है.
विश्व प्रसिद्ध दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
स्थान- दिल्ली के महरोली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.
यह ३५ फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
किसने और कब बनवाया-
गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का स्वर्णयुग माना जाता है .
लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा चन्द्र ने बनवाया था.
बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय
समुद्रगुप्त की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का राज्यकाल था.तो बनवाने वाले
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय ही थे. और इस का निर्माण 325 ईसा पूर्व का है.
कहते हैं कि इस स्तम्भ को पीछे की ओर दोनों हाथों से छूने पर मुरादें पूरी हो जाती हैं.
परन्तु अब आप ऐसा प्रयास नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब इसके चारों तरफ लोहे की सुरक्षा जाली है.
चलते चलते एक और बात बताती चलूँ कि बिहार के जहानाबाद जिले में एक गोलाकार स्तंभ है
जिसकी लम्बाई ५३.५ फीट और व्यास ३.५ फीट है जो उतर से दक्षिण की ओर आधा जमीन में
तथा आधा जमीन की सतह पर है.कुछ पुरातत्वविद इसे ही दिल्ली के लौह स्तम्भ का सांचा मानते है.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेता से :-
श्री pryas जी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ
जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
M
निरंजन मिश्र (अनाम)
Dr.Ajmal Khan
दर्शन लाल बवेजा
ana
बंटी "द मास्टर स्ट्रोक"
विजय कर्ण
हम आपकी सेवा में हाजिर हैं पहेली - 6 का जवाब लेकर।
पहेली का सही उत्तर है
लौह स्तम्भ, महरौली, दिल्ली
प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी
तक 'जंगविहिन' दिल्ली का लौह स्तंभ'।जिसका चित्र पहेली में हमने दिखाया था.
इसका सालों से 'जंग विहीन होना ' दुनिया के अब तक के अनसुलझे रहस्यों मे माना जाता है.
सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने अनुसन्धान में कुछ
निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर जमी Misawit की परत इसे जंग लगने से बचाती है .
वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से ही लोहे को गलाने की तकनीक जानते थे.
पश्चिमी देश इस ज्ञान में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे. इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का
पहला कारखाना सन् ११६१ में खुला था.बारहवीं शताब्दी के अरबी विद्वान इदरिसी ने भी
लिखा है कि भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित
मानकों की बराबरी कर पाना असंभव सा है.
विश्व प्रसिद्ध दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
स्थान- दिल्ली के महरोली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.
यह ३५ फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
किसने और कब बनवाया-
गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का स्वर्णयुग माना जाता है .
लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा चन्द्र ने बनवाया था.
बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय
समुद्रगुप्त की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का राज्यकाल था.तो बनवाने वाले
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय ही थे. और इस का निर्माण 325 ईसा पूर्व का है.
कहते हैं कि इस स्तम्भ को पीछे की ओर दोनों हाथों से छूने पर मुरादें पूरी हो जाती हैं.
परन्तु अब आप ऐसा प्रयास नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब इसके चारों तरफ लोहे की सुरक्षा जाली है.
चलते चलते एक और बात बताती चलूँ कि बिहार के जहानाबाद जिले में एक गोलाकार स्तंभ है
जिसकी लम्बाई ५३.५ फीट और व्यास ३.५ फीट है जो उतर से दक्षिण की ओर आधा जमीन में
तथा आधा जमीन की सतह पर है.कुछ पुरातत्वविद इसे ही दिल्ली के लौह स्तम्भ का सांचा मानते है.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेता से :-

जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
M
निरंजन मिश्र (अनाम)
Dr.Ajmal Khan
दर्शन लाल बवेजा
ana
बंटी "द मास्टर स्ट्रोक"
विजय कर्ण